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वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, केंद्र से 7 दिन में जवाब तलब

हमारा प्रयास : आपकी बात, सच्चाई के साथ, डिजिटल डेस्क | HamaraPrayas.com

 

ANI ! नई दिल्ली। वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई गुरुवार को भी जारी रही। बुधवार को हुई सुनवाई के बाद, मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार से 'वक्फ बाय यूजर' से संबंधित मुद्दों पर 7 दिनों के भीतर जवाब मांगा है।

कोर्ट ने स्पष्ट किया कि फिलहाल वक्फ कानून पर कोई स्थगन आदेश जारी नहीं किया जा रहा है, लेकिन जब तक केंद्र का जवाब दाखिल नहीं होता, तब तक 'वक्फ बाय यूजर' को डिनोटिफाई नहीं किया जाएगा और वक्फ बोर्ड या काउंसिल में कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी।

कोर्ट ने यह भी आदेश दिया है कि याचिकाकर्ता केंद्र के जवाब पर 5 दिन में अपना प्रत्युत्तर दाखिल करें। इसके पश्चात, अदालत इस मामले को अंतरिम आदेश के लिए सूचीबद्ध करेगी। सुनवाई की अगली तारीख 5 मई 2025 तय की गई है।

CJI की केंद्र से टिप्पणी:

"हम नहीं चाहते कि हालात बदलें। जो पांच साल वाली शर्तें हैं, वह यथावत रहें। लेकिन संशोधित कानून के मुताबिक कोई नई नियुक्ति न हो – इतना भरोसा दीजिए।"

केंद्र सरकार का आश्वासन:

सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि धारा 9 और 14 के अंतर्गत वक्फ काउंसिल और वक्फ बोर्ड में फिलहाल कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी। साथ ही, 'वक्फ बाय यूजर' के अंतर्गत किसी भी संपत्ति को डिनोटिफाई नहीं किया जाएगा और न ही किसी कलेक्टर की भूमिका बदली जाएगी।

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की दलील:

"यह कानून मुसलमानों की धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है। सरकार यह कैसे तय कर सकती है कि कोई मुसलमान है या नहीं, और क्या वह वक्फ संपत्ति घोषित करने का पात्र है या नहीं?"

सिब्बल ने अदालत में कहा कि विवादास्पद प्रावधान मुस्लिम समुदाय की धार्मिक और धर्मार्थ संस्थाओं के संचालन के अधिकारों में हस्तक्षेप करते हैं। उन्होंने वक्फ संपत्तियों के 'गैर-अधिसूचित' किए जाने, गैर-मुस्लिम सदस्यों की वक्फ बोर्ड और काउंसिल में नियुक्ति जैसे बिंदुओं पर अदालत का ध्यान आकर्षित किया।

उन्होंने यह भी मांग की कि जब तक पूरी सुनवाई पूरी नहीं होती, इन प्रमुख प्रावधानों को अस्थायी रूप से स्थगित रखा जाए।

अदालत ने इस पूरे मामले में धार्मिक स्वतंत्रता, संपत्ति के अधिकार और धार्मिक संगठनों की स्वायत्तता जैसे संवेदनशील मुद्दों को ध्यान में रखते हुए अगली सुनवाई तक किसी भी कार्यवाही पर संयम बरतने का आग्रह किया है।

ब्यूरो रिपोर्ट — हमारा प्रयास | www.HamaraPrayas.com 

विडियो सोर्से - ANI

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