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बिहार चुनाव 2025 से पहले राहुल गांधी की सक्रियता—उम्मीद की दस्तक या गठबंधन में खलबली? क्या राहुल की ‘राजनीतिक यात्रा’ बिहार में कांग्रेस की ज़मीन सींच पाएगी?

🖋️ Reported by: आयुष जैन 
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हमरा प्रयास
📅 Last Updated: April 07, 2025, 

बिहार चुनाव 2025


बेगूसराय से पटना तक राहुल गांधी की सियासी पदयात्रा ने बिहार की राजनीति को गर्मा दिया है। सवाल बड़ा हैक्या यह यात्रा कांग्रेस के लिए खोई हुई ज़मीन की वापसी का बीज बो सकेगी, या फिर यह एक और राजनीतिक औपचारिकता बनकर रह जाएगी?

🔍 कन्हैया के साथ कदमतालनया समीकरण या पुराना साया?

राहुल गांधी ने अपने बिहार दौरे की शुरुआत लेनिनग्राद कहे जाने वाले बेगूसराय से की, जहां वह कन्हैया कुमार की 'नौकरी दो, पलायन रोको' यात्रा में शामिल हुए। युवा नेतृत्व और जनआंदोलनों की पृष्ठभूमि वाले कन्हैया के साथ राहुल की साझेदारी प्रतीकात्मक ही नहीं, रणनीतिक भी है। लेकिन क्या यह कांग्रेस को ज़मीनी समर्थन दिला पाएगा, या फिर कन्हैया भी कांग्रेस की पुरानी ढर्रे वाली राजनीति में खो जाएंगे?

🤝 आरजेडी-कांग्रेस: गठबंधन में दरार या नए समीकरण की तलाश?

2020 में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन सिर्फ़ 19 पर जीत मिली। आरजेडी तब से ही कांग्रेस की कार्यशैली और प्रदर्शन पर सवाल उठाती रही है। इस बार कांग्रेस 100 सीटों पर दावेदारी की तैयारी में है, जबकि आरजेडी 50 से ज्यादा देने के मूड में नहीं दिखती। राहुल गांधी की यह यात्रा कहीं आरजेडी से टकराव की भूमिका तो नहीं बना रही?

तेजस्वी यादव ने भले ही सार्वजनिक रूप से कुछ न कहा हो, लेकिन सूत्रों के अनुसार वह राहुल की गतिविधियों पर नज़र बनाए हुए हैं। क्या राहुल की यह सक्रियता महागठबंधनको और मज़बूत करेगी या इसकी नींव को ही हिला देगी?

🗣️ विपक्ष के तीरगिरिराज और नित्यानंद का हमला

राहुल गांधी की इस यात्रा पर बीजेपी ने जोरदार हमला बोला है। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने राहुल के बेगूसराय दौरे को याद दिलाते हुए राजीव गांधी के वादों पर निशाना साधा और कहा कि राहुल को सिमरिया घाट पर बालू और गोबर खाकर प्रायश्चित करना चाहिए। वहीं, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय का कहना है कि राहुल जहां जाते हैं, वहीं गठबंधन में खलबली मचती है।

इन बयानों से भले ही राजनीतिक बयानबाज़ी की बू आए, लेकिन क्या इसमें गठबंधन की अंदरूनी उलझनों की झलक भी छिपी है?

🧭 कांग्रेस का बिहार मिशनसीटों से परे, अस्तित्व की लड़ाई?

राहुल गांधी का बिहार दौरा सिर्फ़ सीट बंटवारे की बात नहीं है। यह कांग्रेस के अस्तित्व की लड़ाई है। क्या कांग्रेस यहां केवल 'घटक दल' बनकर रहेगी या अपने लिए सम्मानजनक भूमिका तय कर पाएगी?

पार्टी सूत्रों की मानें तो राहुल गांधी बिहार में फिक्स फोकस रणनीति के तहत बार-बार दौरे कर रहे हैं, संगठन को सक्रिय कर रहे हैं, और कन्हैया जैसे चेहरों को आगे लाकर एक नए विमर्श की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन सवाल वही हैक्या इससे वोट जुड़ेंगे?


क्या हाथदोबारा मज़बूत होगा या फिर से फिसल जाएगा?

राहुल गांधी की यह यात्रा कांग्रेस की खोई हुई सियासी ज़मीन को उर्वरा बना पाएगी या नहीं, यह चुनावी नतीजे तय करेंगे। लेकिन इतना तो साफ़ है कि इस बार की लड़ाई सिर्फ़ सीटों की नहीं हैयह कांग्रेस के सम्मान, अस्तित्व और भविष्य की लड़ाई है।

क्या राहुल इस बार कुछ अलग कर पाएंगे, या फिर बिहार कांग्रेस की किस्मत में एक बार फिर बंजर ज़मीनही लिखी है? यह देखना बांकी

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